Wednesday, 31 December 2014

नव-साल

मेरी तमन्ना,न मुझे नव-साल ही दे।
लौटा वही गर्दू, वो ख़याल भी दे।
ख़ार-ओ-ख़स ही नहीं बा-सब्ज़ मगर,
दे, दे, पुर्सिशे-ए-अहवाल भी दे।
@प्रदीप

नया साल


Tuesday, 2 December 2014

न राधा नाच पाती है

रह-रह के उसे सोचनें को
न वक़्त रहा, ना ही कोई याद आती है

मगर जब लिखता हूँ तो
हर दफ़ा इक फ़साद होती है

जैसे, न बचा है नौ-मन तेल
न राधा नाच पाती है 
-प्रदीप

To someone special


जाने कब भेज दे
वो इन्तिज़ार-ए-इश्क़ का खत
बस
इसी इंतजार में हूँ
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