हो गए सब बंजारे
नींद के मारे है सारे
हर डगर हारे है सारे
बीज स्वप्नों के पले जो
हो गए सब बंजारे
दो कदम के हमसफ़र हम
तब ना सोचे थे मगर अब
छुट गए है सब सहारे
हो गए हम बंजारे
थी मसर्रत हर ज़रर में
खार भी बेकार थे
छिप गए सारे नज़ारे
हो गए सब बंजारे
हो गए..............
@ प्रदीप
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