Sunday, 16 March 2014


होली है 

घनी है लवंगिया की डार लचक चली फ़ागुन में 
पिया मैं तो बसंती बयार बहक चली फ़ागुन में 
बिन तेरे अब नही है करार मचल चली फ़ागुन में 
मेरी धानी चुनर है गँवार फिसल चली फागुन में 
पिया मैं तो ……… 

              by someone special